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शरद पूर्णिमा की रात जाग़ कर जो मां लक्ष्मीकी पूजा करता है मां लक्ष्मी उसका घर सुख समृद्धि से भर देती हैं

हरिद्वार 16 अक्टूबर, आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, श्री निरंजनी के महंत श्री रवींद्र पुरी जी महाराज ने शरद पूर्णिमा के बारे में अपने भक्तजनों को विस्तार से बताया कि आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ चमकता है। शरद पूर्णिमा के दिन लोग व्रत करते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन कथा सुनने या पढ़ने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है lशरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है और उनको दूध व मखाने से बनी खीर का भोग अर्पित किया जाता है। चंद्रमा की रोशनी में इस खीर को रखने के बाद प्रसाद के रूप में इसे खाया जाता है l माना जाता है कि ऐसा करने से उसमें अमृत मिल जाता है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचा था और गोपियों को अमृत पिलाया था। इसलिए इस दिन का खास महत्व है। शरद पूर्णिमा का व्रत रखने वालों के लिए मां लक्ष्‍मी के प्रादुर्भाव की कथा का पाठ करना जरूरी होता है। तभी उनका व्रत पूर्ण माना जाता है।इस दिन लोग रात को जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि जो इस रात जागता है, मां लक्ष्मी उसके घर समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं l

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