गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना, और 56 भोग अर्पित करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं: श्री रवींद्र पुरी जी महाराज
हरिद्वार, भारतीय अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष , निरंजनी अखाड़े के महंत श्री राम रवींद्र पुरी जी महाराज ने अपने भक्तों को बताया कि गोवर्धन पूजा का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना और 56 भोग अर्पित करने से साधक को समस्त दुख और संताप से छुटकारा मिलता हैभगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था. उसी समय से गोवर्धन पूजा का विधान आरंभ हुआ और इसे लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं. इस दिन हर घर में गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है और पूजा अर्चना की जातीइसे भगवान श्रीकृष्ण के समय के एक मात्र स्थायी व स्थिर अवशेष का दर्जा प्राप्त है. माना जाता है कि उस समय की यमुना नदी भी समय-समय पर अपनी धारा बदलती रही है, लेकिन गोवर्धन पर्वत आज भी अपने मूल स्थान पर ही स्थित है. इस कारण से इन्हें भगवान कृष्ण का स्वरूप भी मानकर आज भी इस दिन पूजा जाता है