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श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में समारोह पूर्वक मनाया गया गुरु गोविंद सिंह स्मृति पंचमी महोत्सव

सेवा और सच्चाई को समर्पित था गुरू गोविंद सिंह का जीवन-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह हमेशा प्रासंगिक रहेंगी गुरूओं की वाणी-श्रीमहंत रविंद्रपुरी हरिद्वार, 22 सितम्बर। कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह की अध्यक्षता व सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में गुरू गोविंद सिंह की स्मृति में वार्षिक पंचमी महोत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान अखाड़े में स्थित गुरूद्वारे में अखण्ड पाठ, भोग, आरती पूजन एवं अरदास की गयी। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक गुरू थे। गुरु गोबिंद सिंह ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई के लिए समर्पित किया। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म रक्षा के लिए पूरे परिवार का बलिदान किया। गुरू गोविंद सिंह का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमेशा समाज को प्रेरणा देती रहेंगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि गुरूओं की वाणी हमेशा प्रासंगिक रहेगी। सनातन धर्म की रक्षा में सिख गुरूओं ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया। उन्होंने कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के नेतृत्व में अखाड़ा धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार और मानव सेवा में उल्लेखनीय योगदान कर रहा है। जो सभी के लिए प्रेरणादायी है। अखाड़े के कोठारी महंत जसविन्दर सिह एवं सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत करते हुए कहा कि गुरूओं के जीवन आदर्शो और उनकी शिक्षाओं का अनुकरण करते हुए अखाड़ा विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से धर्म संस्कृति के संरक्षण के साथ शिक्षा और मानव सेवा में भी योगदान कर रहा है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह ने सदा प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया। गुरू गोविंद सिंह का मानना था कि मनुष्य को किसी से डरना नहीं चाहिए और ना ही किसी को डराना चाहिए। हिंदू धर्म की रक्षा में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। महंत रंजय सिंह, स्वामी प्रबोधानंद गिरी, महंत रूपेंद्र प्रकाश, महंत खेमसिंह एवं स्वामी अनंतानंद ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष के लिए खालसा पंथ की स्थापना की और आजीवन धर्म रक्षा के लिए संघर्ष किया। इस अवसर पर महंत प्यारा सिंह, समाजसेवी अतुल शर्मा, बीबी बिनिंदर कौर सौढ़ी, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत विष्णुदास, महंत प्रेमदास, महंत सूरजदास, महंत निर्भय सिंह, महंत खेमसिंह, महंत गंगादास उदासीन, महंत राघवेंद्र दास, महंत मुरली दास, महंत जयेंद्र मुनि, स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी दिनेश दास, स्वामी प्रमोद दास, महंत रघुवीर दास सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

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