यमराज और यमुना जी के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है भैया दूज -श्री महंत रवींद्र पुरी

भैया दूज का पावन पर्व भाई और बहन के श्रद्धा, प्रेम और स्नेह का सबसे सुंदर प्रतीक है। यह दिन भारतीय संस्कृति में रिश्तों की गहराई और परिवार के प्रति समर्पण का संदेश देता है।
यह त्योहार बहन के प्यार और भाई की सुरक्षा के वचन का उत्सव बनकर हर घर को आनंद और अपनापन से भर देता है।
कहा जाता है कि यमराज और उनकी बहन यमुनाजी के स्नेह से प्रेरित होकर यह त्योहार मनाया जाता है।
जब यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए, तो यमुनाजी ने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया, तिलक लगाया और दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया। उस दिन से यह परंपरा चल पड़ी कि हर भैया दूज पर बहनें अपने भाई का तिलक कर उसकी कुशलता की कामना करती हैं।
यह कथा आज भी इस पर्व का आधार है — अपनेपन, प्रेम और कर्तव्य का अनोखा संगम।
भैया दूज के दिन बहनें पूजा की थाली सजाती हैं, तिलक और आरती के बाद मिठाई खिलाकर अपने भाई की लंबी उम्र की मनोकामना करती हैं। बदले में भाई बहन की रक्षा, सुख और मुस्कान के वचन के साथ उसे उपहार देता है।
इस दिन हर घर में हंसी-खुशी का माहौल होता है, पुरानी यादें ताज़ा होती हैं और दिलों में बचपन की मिठास लौट आती है।
भैया दूज हमें यह याद दिलाता है कि सच्चे रिश्तों का कोई विकल्प नहीं होता। यह त्योहार हमें अपने भाई-बहनों से फिर जुड़ने, उन्हें धन्यवाद देने और उनके जीवन में खुशियाँ लाने का अवसर देता है।
चाहे बहन किसी दूसरे शहर में हो या विदेश में, वह अपने भाई की लंबी उम्र और सफलता की दुआ मन से करती है। यह भावनात्मक बंधन ही हमारे जीवन का सबसे सुंदर उपहार है।
इस शुभ अवसर पर हर भाई अपनी बहन की खुशियों के लिए समर्पित रहे और हर बहन अपने भाई की उन्नति और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करे — यही इस पर्व का सच्चा संदेश है।
भैया दूज के इस पावन दिन पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। प्रभु से यही प्रार्थना है कि हर भाई-बहन के जीवन में सदा प्रेम, स्नेह और सुख का उजियारा बना रहे।
मां भगवती मनसा देवी का आशीर्वाद आप सब पर सदैव बना रहे। हर हर महादेव।
