तुलसी विवाह हिंदू धर्म का पावन पर्व श्री महंत रवींद्र पुरी

तुलसी विवाह का पावन पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन भक्ति, सौभाग्य और प्रेम का सुंदर प्रतीक है।
इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से संपन्न किया जाता है, जो भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप माने जाते हैं।
तुलसी विवाह को देवोत्थान एकादशी के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन से विवाह, मांगलिक कार्य और नए आरंभ के लिए शुभ मुहूर्त फिर से प्रारंभ हो जाते हैं।
घर-घर में इस अवसर पर भक्ति और उत्सव का वातावरण रहता है। तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाया जाता है, उस पर सुंदर वस्त्र, आभूषण और फूल चढ़ाए जाते हैं।
मिट्टी के दीपक जलाकर भक्ति गीत गाए जाते हैं। शालिग्राम जी को वर के रूप में सजाकर तुलसी माता का विवाह विधि-विधान से संपन्न किया जाता है।
तुलसी का पौधा भारतीय संस्कृति में अत्यधिक पवित्र माना गया है।
माना जाता है कि जहां तुलसी होती है, वहां नकारात्मक ऊर्जा नहीं ठहरती और घर में समृद्धि तथा शांति का वास होता है।
तुलसी विवाह का संदेश यही है कि जीवन में प्रेम, निष्ठा और आस्था से हर कठिनाई को हराया जा सकता है। यह पर्व हमें भक्ति के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक एकता का भी संदेश देता है।
इस पवित्र अवसर पर सभी को तुलसी विवाह की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान विष्णु और माता तुलसी की कृपा आपके जीवन में सुख, समृद्धि, स्वस्थ्यता और आनंद का सतत प्रवाह बनाए रखे। भक्ति के इस दीप से आपका हर दिन शुभ, मंगलमय और आलोकित हो।
मां भगवती मनसा देवी का आशीर्वाद आप सब पर सदैव बना रहे। हर हर महादेव।



