Blog

Gyanvapi: काशी विश्वनाथ एक्ट बना व्यासजी के तहखाने में पूजा के आदेश का आधार, इसीलिए ज्ञानवापी में बजीं घंटियां

व्यासजी का तहखाना काशी विश्वनाथ मंदिर की संपत्ति है। यही कारण है कि अदालत ने पूजा की जिम्मेदारी काशी विश्वनाथ न्यास को सौंपी है।

ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में विग्रहों के राग-भोग के आदेश का आधार काशी विश्वनाथ एक्ट के जरिये ही बना है। व्यासजी का तहखाना काशी विश्वनाथ मंदिर की संपत्ति है। यही कारण है कि अदालत ने पूजा की जिम्मेदारी काशी विश्वनाथ न्यास को सौंपी है। एक्ट में यह प्रावधान है कि किसी अदालत के निर्णय, डिग्री या आदेश या फिर किसी अदालत की ओर से निश्चित की गई किसी योजना में मंदिर से संबंधित कोई बात होने के बाद भी काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट प्रभावी रहेगा। ऐसे में जिला जज का आदेश मिलने के बाद व्यासजी के तहखाने पर भी एक्ट प्रभावी हो जाएगा।

व्यासजी के परिवार ने वर्ष 2016 में अपनी सभी संपत्तियों का सेवइतनामा काशी विश्वनाथ मंदिर को सौंप दिया था। काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट के तहत मंदिर की संपत्ति पर न्यास परिषद को संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। एक्ट की धारा 13 की उपधारा 1 में साफ किया गया कि मंदिर और उसके विन्यास, मंदिर के तहत आने वाली चल और अचल संपत्ति, द्रव्य (पैसे), मूल्यवान वस्तु, आभूषण, अभिलेख, दस्तावेज, भौतिक पदार्थ पर न्याय परिषद का अधिकार रहेगा। न्यास परिषद मंदिर के तहत आने वाली अन्य संपत्तियों को कब्जे में लेने और रखने की हकदार होगी।

ये है काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट

भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत 13 अक्टूबर 1983 को काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट को लागू किया गया। यूपी विधानमंडल की तरफ से पास इस एक्ट को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रभावी बनाया गया। यह वर्ष 1983 के एक्ट संख्या 29 के रूप में भी जाना जाता है। इसके जरिये काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके विन्यास के समुचित एवं बेहतर प्रशासन की व्यवस्था की गई है। साथ ही, मंदिर से संबद्ध या अनुषांगिक विषयों की व्यवस्था भी की गई है। इस अधिनियम में 13 जनवरी 1984, 5 दिसंबर 1986, 2 फरवरी 1987, 6 अक्टूबर 1989, 16 अगस्त 1997, 13 मार्च 2003 और 28 मार्च 2013 को संशोधन भी हुए हैं।

धारा 13 की उप धारा 2 के तहत कई प्रावधान हैं। कोई भी व्यक्ति मंदिर की संपत्ति को अपने अधीन नहीं रख सकता है। अगर किसी भी व्यक्ति के कब्जे में, अभिरक्षा में या नियंत्रण में मंदिर की कोई संपत्ति है तो उसे मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के समक्ष पेश करना होगा। इसमें चल और अचल संपत्ति का जिक्र है।

विवेक शंकर त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष, सेंट्रल बार एसोसिएशन

एक्ट की धारा या उप धारा में निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही बदलाव या संशोधन किया जा सकता है। इस एक्ट का प्रभाव किसी अन्य नियम, प्रथा या विधि के प्रभावी होने के बाद भी बना रहेगा।

-पं दीपक मालवीय, सदस्य काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास

Related Articles

Back to top button