PM Modi Varanasi Visit: संत रविदास के आशीर्वाद से पीएम मोदी साधेंगे पंजाब, हरियाणा; वोटरों को रिझाएंगे
PM Modi Varanasi Visit: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी मोदी बतौर प्रधानमंत्री तीसरी बार 23 फरवरी को सीरगोवर्धन पहुंचेंगे। वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी पीएम मोदी सीर पहुंचे थे और लंगर छककर एक खास वोटबैंक के बीच अपना संदेश पहुंचाया था।
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संत शिरोमणि रविदास जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा से लेकर सिंध की सियासत को एक साथ साधेंगे। संत निरंजन दास के साथ संगत से रूबरू होकर वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों के मतदाताओं को रिझाएंगे। उत्तर प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले तीसरी बार 23 फरवरी को पीएम मोदी सीरगोवर्धन पहुंचेंगे।
सीर में पीएम श्रद्धालुओं को संबोधित करने के साथ ही लंगर छककर सामाजिक समरसता का संदेश भी देंगे। साथ ही संत रविदास की प्रतिमा का अनावरण कर यहां 100 करोड़ रुपये से होने वाली श्रद्धालु सुविधाओं की भी सौगात देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 फरवरी को दो दिवसीय यात्रा पर काशी आ रहे हैं। 23 फरवरी को पीएम संत रविदास के अनुयायियों के बीच करीब दो घंटे का समय बिताएंगे। आम चुनाव से ठीक पहले संत शिरोमणि के आशीर्वाद के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। कारण, वाराणसी के रविदास मंदिर से हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के अनुयायियों की आस्था जुड़ी है। यही कारण है कि आस्था के सैलाब में सियासतदां अपनी पैठ मजबूत करने के लिए दर तक पहुंचते रहे हैं।
वर्ष 2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी सीर पहुंचे थे पीएम मोदी
उनके अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल, सपा मुखिया अखिलेश यादव, पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहित कई नेता संत रविदास के दर पर शीश नवाकर रविदास के अनुयायियों के बीच अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर चुके हैं।
बसपा के वोट बैंक पर भाजपा की निगाह
संत शिरोमणि के अनुयायियों में रामदासिया समाज के लोगों की संख्या बहुत बड़ी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, पंजाब और जम्मू तक इस समाज की भूमिका सियासत में भी निर्णायक है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ये बसपा के बड़े वोट बैंक के रूप में जाने जाते हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी रामदासिया समाज से थे और कांग्रेस ने उनके जरिये बड़ा दांव भी खेला था। हालांकि कांग्रेस का यह दांव वहां विधानसभा चुनाव में फेल साबित हुआ।