वैदिक मंत्रो की गूंज से दिव्य हुआ धनबाद

।।वैदिक मंत्रों की गूंज से दिव्य हुआ धनबाद ।।
आर्यम श्री विग्रह अर्चना विष्णु
अनुष्ठान में उमड़ पड़े भक
खनिज-संपन्न झारखंड राज्य की कोयला नगरी धनबाद में आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के अवसर पर विशिष्ट लक्ष्मी विष्णु पुष्पार्चन अनुष्ठान आयोजित किया गया । पूजा में लगभग 300 भक्तों ने उपस्थिति दर्ज कर ईश्वर का ध्यान किया। समस्त आयोजन परमप्रज्ञ जगद्गुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज के सानिध्य में संपन्न हुआ।
गुरुदेव आर्यम ने समस्त श्रद्धालुओं को अपने ज्ञान से आलोकित किया। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु समस्त सृष्टि के पालनकर्ता हैं और धर्म, संतुलन तथा जीवन के नैतिक सिद्धांतों के प्रतीक माने जाते हैं। विष्णु जी की उपासना व्यक्ति के भीतर स्थिरता, संयम और कर्तव्यनिष्ठा को सुदृढ़ करती है, जिससे जीवन में निर्णय क्षमता और आंतरिक शांति बढ़ती है। विशिष्ट पूजा-अर्चना से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मानसिक तनाव कम होता है और व्यक्ति परिस्थितियों के उतार–चढ़ाव में भी संतुलित रह पाता है। शास्त्रीय परंपराओं के अनुसार, विष्णु आराधना से परिवार में सौहार्द, कार्यों में सफलता और जीवन में समग्र कल्याण की संभावनाएँ बढ़ती हैं। इस प्रकार, विष्णु पूजा केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि मानसिक, नैतिक और सामाजिक संतुलन का आधार भी मानी जाती है।
झारखंड स्थित आर्यम संयोगियों के आग्रह पर शीघ्र ही ज्योतिर्लिंग बैद्यनाथ धाम, देवघर में भव्य आर्यम अनुष्ठान होने की संभावना पर भी विचार विमर्श किया गया ।
प्रत्येक आर्यम अनुष्ठान की भाँति यह विशिष्ट पूजा भी अभिजीत मुहूर्त में की गई, जो दिन के मध्य का वह क्षण होता है जब सूर्य ऊर्जा अपने सर्वोच्च संतुलन पर होती है। इस मुहूर्त में की गई पूजा-अर्चना को बाधा-निवारक माना गया है, जिससे जीवन में अनावश्यक रुकावटें कम होती हैं। यह मन को एकाग्र और स्थिर बनाती है तथा आध्यात्मिक ग्रहणशीलता बढ़ाती है। आर्यम जी महाराज ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य का यह धर्म है कि वह ईश्वर की आराधना करे। अग्निहोत्र के अतिरिक्त गुरुदेव आर्यम ने सनातन की प्राचीन, किंतु लुप्त होती विधि पुष्पार्चन को जनसामान्य के बीच स्थापित कर एक अद्वितीय कार्य किया है। भगवान लक्ष्मीविष्णु के मंत्रों से संपन्न इस पुष्पार्चन में कई हज़ार पुष्पों से अर्पित किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से गुलाब, गेंदा और कमल का उपयोग हुआ।
आर्यम लक्ष्मीविष्णु अनुष्ठान धनबाद की भूमि पर एक अनूठा धार्मिक कदम है। जहाँ धनबाद कोयले की अपार संपदा और औद्योगिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है, वहीं विष्णु पूजा इस धरती पर संतुलन, संरक्षण और प्रकृति-समन्वय के गहरे संदेश को उजागर करती है। जगद्गुरु आर्यम के सानिध्य में हुई यह पूजा प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग, पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी और धरती के संरक्षण की प्रेरणा देती है। पालनकर्ता विष्णु का स्वरूप और झारखंड की खनिज-समृद्ध भूमि—दोनों मिलकर यह विचार प्रबल करते हैं कि समृद्धि तभी स्थायी है, जब उसकी जड़ें संतुलन, संयम और प्रकृति-हित में स्थित हों।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया कि किस प्रकार परमप्रज्ञ जगद्गुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज विश्वभर में सनातन की ठोस नींव स्थापित कर रहे हैं। धनबाद से पूर्व, गंगोत्री में आर्यम गुरुदेव ने समस्त जनकल्याण हेतु माँ गंगा की गोद में अग्निहोत्र संपन्न किया। ज्ञातव्य है कि आर्यम गुरुदेव की शिक्षाओं और दीक्षा का विस्तार आज उनके शिष्यों के माध्यम से विश्वभर में प्रतिपादित हो रहा है।
समस्त कार्यक्रम में स्थानीय आर्यम संयोगियों में मनोज कुमार अनुज, ऋषभ देव, लीना श्री चौबे , हरिहर देव,पूर्णिमा ,ध्रुव तिवारी , रवि शंकर चौबे एवं आश्रम की ओर से श्वेता जायसवाल और हर्षिता आर्यम का सह



