देव दीपावली प्रकाश का पावन पर्व -श्री महंत रवींद्र पुरी

देव दिवाली का पावन पर्व प्रकाश, भक्ति और आनंद का अद्भुत संगम है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्वयं देवता भी काशी नगरी में आकर दिवाली मनाते हैं।
पुराणों में वर्णन है कि भगवान शिव ने इसी दिवस पर त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था और इसी कारण इस दिन को देव दीपावली कहा गया। यह पर्व केवल दीप प्रज्वलन का नहीं, बल्कि असत्य पर सत्य, अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।
काशी हरिद्वार सहित देश के तमाम घाटों पर जब हजारों दीयों की लौ से गंगा किनारा जगमगाता है, तो दृश्य मानो स्वर्ग तुल्य प्रतीत होता है।
भक्त पूरे मनोयोग से गंगा आरती में भाग लेते हैं, दीपदान करते हैं और भगवान शिव, मां पार्वती तथा मां गंगा की आराधना करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया स्नान, ध्यान, दान और पूजा अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। दीपों की यह श्रृंखला हमें यह भी स्मरण दिलाती है कि जब हम अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर ज्ञान और प्रेम का दीप जलाते हैं, तभी सच्चे अर्थों में जीवन उज्ज्वल होता है।
देव दिवाली के अवसर पर लोग अपने घरों, मंदिरों और गलियों को दीपमालाओं से सजाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
आप सभी को देव दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं। यह दिव्य पर्व आपके जीवन में नई ऊर्जा, उजाला और अपार खुशियों का संचार करे। भगवान शिव और मां गंगा की कृपा से आपके परिवार में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का दीप सदा प्रज्वलित रहे।
मां भगवती मनसा देवी का आशीर्वाद आप सब पर सदैव बना रहे। हर हर महादेव।



