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शिक्षा व दीक्षा, इंटरनेट व इनरनेट, शिक्षा व संस्कार, संस्कृति व प्रकृति, चले साथ-साथ: स्वामी चिदानंद सरस्वती

*💥दून विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी के पश्चात भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से आये राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के प्रतिष्ठित सदस्यों ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती में किया सहभाग* *💥शिक्षा व दीक्षा, इंटरनेट व इनरनेट, शिक्षा व संस्कार, संस्कृति व प्रकृति चले साथ साथ* *🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती* ऋषिकेश, 31 अगस्त। दून विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी के बाद, भारत के विभिन्न प्रांतों से आए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के प्रतिष्ठित सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में परमार्थ निकेतन, गंगा आरती में सहभाग किया। विभिन्न राज्यों से आये शिक्षाविद्ों की यह यात्रा न केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संगोष्ठी का उद्देश्य उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और मानकों को बढ़ावा देना है। संगोष्ठी के बाद, सदस्यों ने परमार्थ निकेतन की दिव्य गंगा आरती में सहभाग कर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के दिव्य अनुभव, गंगा आरती के महत्व और उसकी पवित्रता को आत्मसात किया। प्रतिनिधियों ने अपने आध्यात्मिक अनुभवों और विचारों का आदान-प्रदान किया। इस संगोष्ठी में विभिन्न विषयों यथा शिक्षा में नवाचार, अनुसंधान की गुणवत्ता, और शैक्षिक संस्थानों की प्रत्यायन प्रक्रिया के साथ न केवल शैक्षिक संस्थानों की भूमिका बल्कि छात्रों और शिक्षकों की जिम्मेदारी और महत्व पर भी विचार विमर्श किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि शिक्षा व दीक्षा साथ-साथ चले, इंटरनेट व इनरनेट साथ साथ चले क्योंकि शिक्षा हमें इंटरनेट से जोड़ती है और दीक्षा हमें इनरनेट से जोड़ती है। शिक्षा हमें बाहरी दुनिया की जानकारी और तकनीकी ज्ञान देती है, जबकि दीक्षा हमें आत्मज्ञान और आंतरिक शांति की ओर ले जाती है। वर्तमान समय में व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से दूसरों से तो जुड़ रहा है परन्तु खुद से दूर होता जा रहा है इसलिये इंटरनेट व इनरनेट दोनों का संगम हमारे जीवन में हो तथा शिक्षा व दीक्षा, इंटरनेट व इनरनेट, शिक्षा व संस्कार, संस्कृति व प्रकृति साथ साथ चले। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि शिक्षा का मतलब केवल अच्छे स्कूल या विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने, बड़ी-बड़ी डिग्री लेने, बड़ी गाड़ी लेने से नहीं है बल्कि शिक्षा का वास्तविक मतलब तो यह है कि हम जीवन को कैसे जिये, स्वयं को कैसे जाने, अपने विज़डम और विज़न को जाने। वर्तमान समय में हमें शिक्षा के माध्यम में छात्रों को पांच ‘सी’ के विषय में जरूर बताना चाहिये। पांच सी-कनेक्शन अर्थात धर्म से कनेक्शन, डिवाइन कनेक्शन और उच्च शक्ति से जुड़ाव, कान्सियसनेस अपने पर्यावरण के प्रति, अभी पूरे विश्व में जिसकी सबसे अधिक जरूरत है वह ग्लोबल कान्सियसनेश। ग्लोबल कान्सियसनेस पूरी दुनिया के प्रति जागरूकता, संवेदनशीलता, पर्यावरण और समाज के प्रति जागरूकता, कम्पेशन, अपनी धरती और सभी जीवों के प्रति करुणा, करेज, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के लिए साहस और किएटीविटी, नई, सकारात्मक और सतत पहल करने की क्षमता। आज हमारे युवाओं को यह शिक्षा भी देने की जरूरत है। दून विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय, प्रो. सुरेखा डंगवाल जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा आरती ने हम सभी को एक नई ऊर्जा और शांति का अनुभव कराया है। उन्होंने परमार्थ निकेतन के प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। परमार्थ निकेतन शिक्षा और संस्कृति के अद्भुत समन्वय का दिव्य केन्द्र है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकों और कक्षाओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें सांस्कृतिक और आध्यात्मिक तत्वों का भी समावेश होना चाहिए। इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों और शिक्षकों को एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा आरती जैसे कार्यक्रमों का आयोजन अन्य विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में भी किया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकें तथा शिक्षा और संस्कृति का समन्वय बना रहे जिससे समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। प्रो. दिलीप कुमार सैकिया निदेशक खारा अती (पूर्व) असम, प्रो. करमजीत सिंह कुलपति, जगत गुरु नानक देव पंजाब राज्य मुक्त विश्वविद्यालय, पटियाला, प्रो. सुजाथम्मा पल्लमपल्ली जैव विज्ञान और रेशम उत्पादन विभाग, श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय (महिला विश्वविद्यालय) तिरुपति, प्रो. प्रकाश चंद्र प्रधान अंग्रेजी विभाग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, प्रो. इनावोल पांडुरंगा रेड्डी एचएजी, श्रीनिधि कॉलोनी, हैदराबाद, तेलंगाना, प्रो. दीप्ति भल्ला डीन, दिल्ली, प्रो. आर.डी. शर्मा पूर्व कुलपति, जम्मू विश्वविद्यालय, श्रीमती किरण शर्मा, दून विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय, प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति प्रो. एच.सी. पुरोहित, श्री दुर्गेश डिमरी आदि अन्य प्रोफेसर एवं शिक्षाविद्ों ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सहभाग किया।

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