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भारतीय संस्कृति में प्रेम करुणा और सहिष्णुता के गुण समाहित: स्वामी चिदानंद मुनि जी महाराज

*💥धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस* *✨परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के तट पर विशेष पूजन व रूद्राभिषेक कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की* *💥धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा का कोई स्थान नहीं* *🌼भारतीय संस्कृति में सहिष्णुता, प्रेम और करुणा के मूल्य समाहित* *🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती* 22 अगस्त, ऋषिकेश। आज धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के तट पर विशेष पूजन व रूद्राभिषेक कर सभी ने अपनी भावाजंलि अर्पित की। आज का दिन हमें उन निर्दोष आत्माओं की याद दिलाता है जिन्होंने अपने धर्म और विश्वास के कारण अत्याचार और हिंसा का सामना किया। अभी हाल ही में हम सभी ने बांग्लादेश में देखा कि वहां रहने वाले हिन्दू भाई, बहनों और बच्चों पर कितना अत्याचार हुआ जिसने पूरे विश्व हो दहला कर रख दिया है। आज का दिन हमें एकजुट होकर शांति, सहिष्णुता और मानवता के मूल्यों को बढ़ावा देने की शिक्षा प्रदान करता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत और भारतीय संस्कृति विविधता में एकता की संस्कति है, जिसने सदियों से विभिन्न धर्मों और विश्वासों को सम्मान व आदर प्रदान किया है। भारतीय संस्कृति में सहिष्णुता, प्रेम और करुणा के मूल्य समाहित है। भारतीय संस्कृति हमें सिखाती है कि सभी धर्मों और विश्वासों के प्रति समान रूप से सम्मान और सहानुभूति रखनी चाहिए। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र में “धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हमें अपने दिलों में सभी धर्मों और उनके अनुयायियों के प्रति प्रेम, करुणा और सहिष्णुता को स्थान देना होगा। भारतीय संस्कृति हमें सिखाती है कि सभी जीवों में ईश्वर का वास है इसलिये हमें सभी के प्रति समान भाव रखना होगा।” स्वामी जी ने कहा कि धर्म का गलत उपयोग करते हुये या धर्म के नाम पर किसी भी तरह कि हिंसा जायज नहीं है। हिंसा, मानवता के लिये कलंक है। किसी के भी सम्मान के साथ विशेष कर नारियों के सम्मान के साथ जो हो रहा है उसकी कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिये। इस बर्बरतापूर्ण व्यवहार को रोकने के लिये कठोर से कठोर नियमों व न्यायप्रणाली को क्रियान्वित करने का समय आ गया है। अगर किसी के द्वारा आज अपराध हुआ है तो उसकी सजा के लिये वर्षों-वर्षों तक का इंतजार समाप्त होना चाहिये क्योंकि इससे पीड़ित परिवार को अनेक दुःखों का सामना करना पड़ता है इसलिये दोषी को जल्द से जल्द सजा का प्रावधान होना चाहिये। स्वामी जी ने कहा कि, “आज का दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने समाज में शांति और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास करना होगा। हमें वर्तमान व भावी पी़िढ़यों को सहिष्णुता और प्रेम के मूल्यों को सिखाना होगा ताकि वे एक बेहतर और शांतिपूर्ण भविष्य का निर्माण कर सकें।” स्वामी जी ने कहा कि धर्म और विश्वास हमें आंतरिक शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं। हमें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देते हैं और हमें एक बेहतर व्यक्तित्व के निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं। धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने समाज में शांति, सहिष्णुता और मानवता के मूल्यों को बढ़ावा देना होगा। भारतीय संस्कृति और हमारे संस्कार हमें यह सिखाते हैं कि सभी धर्म और विश्वास समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखनी चाहिये। आईये आज के दिन हम संकल्प ले कि हम सभी मिलकर अपने समाज में शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिये मिलकर प्रयास करेंगे। हमें यह सुनिश्चित करना कि किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा का शिकार न होना पड़े। हमें एकजुट होकर उन लोगों की मदद करनी होगी जो इस प्रकार की हिंसा का सामना कर रहे हैं। साथ ही उन्हें न्याय दिलाने के लिए भी प्रयास करना होगा।

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