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आस्था श्रद्धा और साधना का पर्व काल भैरव अष्टमी – श्री महंत डॉ रविंद्रपुरी

श्री काल भैरव अष्टमी का दिन आस्था, श्रद्धा और साधना का विशेष पर्व माना जाता है। यह पावन तिथि भगवान शिव के रौद्र और रक्षक रूप, श्री काल भैरव को समर्पित है।
जब ब्रह्मांड में अधर्म बढ़ने लगा और अहंकार ने देवताओं तक को घेर लिया, तब शिव ने अपने उग्र रूप में प्रकट होकर काल भैरव का अवतार लिया। उन्होंने अन्याय और अहंकार का अंत कर धर्म की मर्यादा की पुनः स्थापना की।
भैरव अष्टमी पर भक्त भगवान भैरव का ध्यान करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों में घंटियों की ध्वनि और भक्ति गीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
इस दिन श्वान (कुत्ता) को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि वह भैरव बाबा का प्रिय साथी और उनका वाहन है।
ऐसा विश्वास है कि इस दिन की उपासना से सभी प्रकार के भय, संकट और नकारात्मक उर्जा का नाश होता है, और साधक को अपार शक्ति, साहस तथा आत्मबल प्राप्त होता है।
काल भैरव की आराधना केवल भय से मुक्ति का ही मार्ग नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में अनुशासन, सत्यनिष्ठा और निष्ठा के साथ आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उनका उपदेश है कि जो व्यक्ति सत्य मार्ग पर चलता है, उसे किसी भी तरह के भय या अन्याय से डरने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उसका रक्षक स्वयं समय के स्वामी काल भैरव होते हैं।
इस पावन अवसर पर आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम अपने भीतर की नकारात्मकता को त्यागकर सद्भाव, सत्कर्म और सदाचार के पथ पर अग्रसर होंगे।
भगवान भैरव का आशीर्वाद हमारे जीवन से सभी अशुभता को दूर करे, हमें ज्ञान, बल, समृद्धि और शांति प्रदान करे। आप सभी को श्री काल भैरव अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। जय भैरव बाबा।
मां भगवती मनसा देवी का आशीर्वाद आप सब पर सदैव बना रहे। हर हर महादेव।

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