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सनातन है तो पर्व व त्यौहार है; सनातन है तो संस्कृति व संस्कार है; सनातन है तो मूल व मूल्य है और सनातन है तो प्रेम व परिवार है: श्री रवींद्र पुरी जी महाराज
हरिद्वार,20 अक्टूबर आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़े के मंहत श्री रवींद्र पुरी जी महाराज ने अपने भक्तजनों के बीच उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि सनातन है तो पर्व व त्यौहार है; सनातन है तो संस्कृति व संस्कार है; सनातन है तो मूल व मूल्य है और सनातन है तो प्रेम व परिवार है, याद रहे जब तक सनातन है तब तक सुहाग है। पर्व, भारतीय संस्कृति के संवर्द्धक और संरक्षक हैं। पर्व न केवल हमारे धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संवर्द्धक और संरक्षक भी हैं। त्यौहार हमारी संस्कृति को संजोकर रखते हैं और उसे समृद्ध बनाते हैं। त्यौहार हमारी संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग हैं। हर त्यौहार के पीछे एक पौराणिक कथा होती है, जो हमें हमारे अतीत से जोड़ती है। करवाचैथ, दीपावली, होली, दशहरा, रक्षाबंधन जैसे त्यौहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। इन त्यौहारों के माध्यम से हम अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाते हैं। त्यौहार समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं। जब हम एक साथ मिलकर किसी त्यौहार को मनाते हैं, तो यह हमें एकजुटता और सामूहिकता का अनुभव कराता है। त्यौहार हमारी आध्यात्मिकता को भी पोषित करते हैं। दीपावली का दीया, होली का रंग, और रक्षाबंधन की राखी ये सभी प्रतीकात्मक रूप से हमारे आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक हैं। ये हमें हमारे अतीत से जोड़ते हैं। त्यौहार हमारी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं जो हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखने की प्रेरणा देते
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