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EFTA Deal: भारत के लिए ईएफटीए के चार देशों के साथ व्यापार समझौते के क्या मायने हैं, आसान भाषा में यहां समझिए

EFTA Deal: भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association, EFTA) के सदस्यों ने व्यापक आधार वाले व्यापार और निवेश समझौते को अंतिम रूप देने के लिए 16 वर्षों में 21 दौर की वार्ता की। यह व्यापार समझौता दोनों पक्षों के लिए काफी अहम है, आइए इसके बारे में जानते हैं।

भारत ने 10 मार्च को यूरोपीय देशों के एक समूह– स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन के साथ टैरिफ को कम करने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। नई दिल्ली को इस समझौते के बाद 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त होने का अनुमान है। भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association, EFTA) के सदस्यों ने व्यापक आधार वाले व्यापार और निवेश समझौते को अंतिम रूप देने के लिए 16 वर्षों में 21 दौर की वार्ता की। यह व्यापार समझौता भारत और ईएफटीए दोनों पक्षों के लिए काफी अहम है, आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

ईएफटीए के साथ व्यापर समझौते से भारत को क्या लाभ होगा?

भारत को उम्मीद है कि यूएई और ऑस्ट्रेलिया के बाद इएफटीए के साथ हुए समझौते से दवाओं, वस्त्रों, रसायनों और मशीनरी के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वाहन, खाद्य प्रसंस्करण, रेलवे और वित्तीय क्षेत्र में भी निवेश आकर्षित होगा। इसके अलावा, भारत के सेवा क्षेत्र को इस समझौते से लाभ हो सकता है। यह सौदा भारत को अपने सेवा क्षेत्र को और मजबूत बनाने में मदद करेगा। यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के बाद भारत ईएफटीए का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका कुल द्विपक्षीय व्यापार 2023 में 25 बिलियन डॉलर को छू गया है। इस अवधि में कंपनी ने ईएफटीए को 2.8 अरब डॉलर का निर्यात किया है और करीब 22 अरब डॉलर का आयात किया है। एक करोड़ 30 लाख की आबादी और एक ट्रिलियन डॉलर से ट्रिलियन से अधिक की संयुक्त जीडीपी के साथ, EFTA देने दुनिया के नौवें सबसे बड़े व्यापारिक कारोबारी हैं और वाणिज्यिक सेवाओं के मामले में इसका स्थान पांचवां है। एफटीए क्षेत्र के फंड में नॉर्वे का $1.6 ट्रिलियन सॉवरेन वेल्थ फंड शामिल है। यह दुनिया का सबसे बड़ा ‘पेंशन’ फंड है। इसने टेक्नोलॉजी स्टॉक में अपने निवेश पर 2023 में लगभग 213 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड रिटर्न अर्जित किया है।

स्विस कंपनियों को इस समझौते से क्या होगा फायदा?

भारत और इएफटीए करार पर स्विस सरकार ने कहा है कि इससे स्विस मशीनरी, घड़ियों और परिवहन से जुड़े लक्जरी उत्पाद बनाने वाले निर्माताओं को लाभ होगा। भारत ने स्विस परिवहन कंपनियों को रेलवे में निवेश के लिए भी आमंत्रित किया है। यह समझौता EFTA देशों को प्रसंस्कृत खाद्य और पेय पदार्थ, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और अन्य इंजीनियरिंग उत्पादों को कम टैरिफ पर संभावित रूप से एक अरब 40 करोड़ लोगों के बाजार में निर्यात करने का अवसर देता है। इस व्यापार समझौते से दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग को भी फायदा हो सकता है।

 

भारत-स्विस संबंधों की दिशा में यह समझौता कितना अहम?

भारत को उम्मीद है कि इस समझौते से ईएफटीए के सबसे बड़े साझीदार स्विट्जरलैंड के साथ व्यापारिक संबंध सुधरेगा। भारत एशिया में इसका चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और यह दक्षिण एशिया में ईएफटीए का सबसे बड़ा साझेदार है। यूबीएस जैसे बैंकों के अलावा नेस्ले, होलसिम, सुल्जर और नोवार्टिस जैसी 300 से अधिक स्विस कंपनियां भारत में अपने कारोबार का संचालन करती हैं, जबकि दिग्गज भारतीय आईटी कंपनियां टीसीएस, इंफोसिस और एचसीएल स्विट्जरलैंड में काम करते हैं

ईएफटीए के समझौते की सीमाएं क्या हैं?

भारतीय अधिकारियों ने कहा कि भारत ने पहले चार देशों की इस मांग को खारिज कर दिया था कि समझौते में ‘डेटा एक्सक्लूसिविटी’ के प्रावधानों को शामिल किया जाए। इससे भारतीय कंपनियों के लिए पेटेंट से इतर दवाओं के जेनेरिक वेरिएंट का उत्पादन करना मुश्किल हो जाएगा। भारत और EFTA ने बड़े पैमाने पर “संवेदनशील” कृषि उत्पादों और सोने के आयात को समझौते से बाहर रखने पर सहमति व्यक्त की है। डेयरी, कोयला, सोया और संवेदनशील कृषि उत्पाद शुल्क छूट के दायरे से बाहर रहेंगे। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव ने एक रिपोर्ट में कहा कि स्विट्जरलैंड की किसी भी देश से सभी औद्योगिक वस्तुओं के लिए शुल्क मुक्त प्रवेश की नीति एक जनवरी से प्रभावी होगी। इससे भारतीय कंपनियों का लाभ प्रभावित हो सकता है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि शुल्कों, गुणवत्ता मानकों और अनुमोदन आवश्यकताओं के जटिलता के कारण भारत को स्विट्जरलैंड में कृषि उपज निर्यात करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

 

रसायनों, उपभोक्ता वस्तुओं, वाहनों और कपड़ों सहित सभी औद्योगिक उत्पादों पर टैरिफ का उन्मूलन भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि वित्त वर्ष 2023 में स्विट्जरलैंड को भारत के 1.3 बिलियन डॉलर के व्यापारिक निर्यात में औद्योगिक वस्तुओं का 98 प्रतिशत हिस्सा है। किसी भी टैरिफ उन्मूलन के बाद ईएफटीए के बाजार भारत के माल को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा जो सौदे का हिस्सा होगा। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि शुल्कों, गुणवत्ता मानकों और अनुमोदन आवश्यकताओं की जटिलता के कारण स्विट्जरलैंड को कृषि उपज का निर्यात चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। ईएफटीए की ओर से अधिकांश बुनियादी कृषि उपज पर कृषि शुल्क शून्य करने का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है।

ईएफटीए समझौते पर उद्योग जगत ने क्या कहा?

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा, 100 अरब डॉलर के निवेश के लिए ईएफटीए सदस्यों की प्रतिबद्धता से इंजीनियरिंग, दवा, खाद्य प्रसंस्करण, परिधान और अन्य क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा। तिरुपुर निर्यातक संघ के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा, आपसी व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय परिधान निर्यातकों को अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। व्यापार विशेषज्ञ एवं हाई-टेक गियर्स के अध्यक्ष दीप कपूरिया ने कहा कि ईएफटीए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक ब्लॉक है, क्योंकि यह वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार में दुनिया के शीर्ष-10 में शामिल है।

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