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शीतकालीन चारधाम यात्रा पर निकले ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरूआत रविवार को धर्मनगरी हरिद्वार से की। यात्रा की शुरूआत करने से पहले उन्होंने चंडी घाट पर मां गंगा की पूजा अर्चना की। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात कर शीतकालीन यात्रा का लाभ उठाने की मांग की।

जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि जिस प्रकार ग्रीष्मकाल में यात्रा होती है उसी प्रकार से शीतकाल में भी यात्रा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि शीतकाल में भी भगवान के दर्शन और पूजन की व्यवस्था रहती है। यह पूजा उनके शीतकालीन प्रवास स्थल की गद्दी पर होती है।

उन्होंने कहा कि यात्रा कभी बंद नहीं होनी चाहिए। इससे सरकार को भी लाभ है। लोगों में भ्रम उत्पन्न हो गया था कि यात्रा बंद हो गई। जबकि ऐसा नहीं है ग्रीष्मकाल में ग्रीष्म स्थान और शीतकाल में शीतकाल स्थान पर पूजा होती है। भगवान के दर्शन और पूजा कभी बंद नहीं होती। सिर्फ स्थान परिवर्तन होता है। आध्यात्मिक स्थान पर पहुंचने से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है और मन को शांति मिलती है।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष उनके साथ कुछ श्रद्धालु यात्रा पर गए थे इस बार अधिक श्रद्धालु जा रहे हैं। गंगा में खनन बंदी के लिए मातृ सदन में अनशन पर बैठे संत का शंकराचार्य ने समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। पहले भी एक संत ने अपना बलिदान दिया क्या अभी भी सरकार यही चाहती है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर उन्होंने कहा कि सरकार मजबूती से इस ओर कदम उठाए। भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है हिन्दुओं की सुरक्षा हो। जिस राजनीतिक दल की सरकार है उसके कार्यकर्ता तो विरोध कर रहे लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। सरकार को कोई ठोस कदम उठाकर पूरे विश्व के हिंदुओं की रक्षा की एक मिसाल पेश करनी चाहिए।

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