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एकादशी पर शुभ योग:15 मई को चतुर्ग्रही और बुधादित्य योग में होगा अपरा एकादशी व्रत, शुभ संयोग से बढ़ेगा व्रत और पूजा का फल:स्वामी राम भजन वन

15 मई को ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी रहेगी। जिसका नाम अपरा या अचला एकादशी है। इस दिन एकादशी तिथि में ही सूर्योदय होगा, इसलिए सोमवार को ही ये व्रत किया जाएगा। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों से शुभ योग भी बन रहे हैं। जिससे व्रत और पूजा का शुभ फल और बढ़ जाएगा।
सितारों का शुभ संयोग
इस बार अचला एकादशी पर सूर्य, बुध, गुरु और राहु मेष राशि में रहेंगे। ये सितारे चतुर्ग्रही योग बना रहे हैं। इस दिन सूर्योदय के वक्त बुध और सूर्य की युति होने से बुधादित्य शुभ योग बनेगा। इस दिन गुरु की राशि और नक्षत्र में चंद्रमा रहेगा। जिससे इस ग्रह का प्रभाव और ज्यादा बढ़ जाएगा। ग्रहों की ये स्थिति एकादशी व्रत और पूजा का शुभ फल और बढ़ा देगी।
अचला एकादशी पर भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा करने का विधान है। ज्येष्ठ महीना होने से इस दिन शंख में दूध और गंगाजल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है। पंचामृत और सुगंधित जल से भी भगवान त्रिविक्रम को नहलाया जाता है।
एकादशी और सोमवार का संयोग बनने से ये दिन भगवान विष्णु के साथ शिवजी और सूर्य पूजा का भी पर्व रहेगा। ज्येष्ठ महीने की एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं। फिर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाएं। इसके बाद शिवजी और भगवान विष्णु की पूजा करें। इस तिथि पर पितरों की तृप्ति के लिए भी श्राद्ध करने का विधान ग्रंथों में है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक लगाएं
एकादशी और सोमवार के योग में शिवलिंग के पास तिल के तेल का दीपक लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। चंदन लगाकर जनेऊ, बिल्व पत्र, धतूरा और मदार के फूल अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। आरती करें।
दान का महत्व
ज्येष्ठ मास की एकादशी पर तिल और जलदान करने का महत्व है। इस पर्व पर पानी से भरे मिट्टी के मटके मंदिरों में दान दिए जाते हैं। शिवालयों में भी इन मटकों को दान देने का विधान है। इस दिन जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाने और मौसम के हिसाब से कपड़ों का दान करने का भी विधान है।