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गोस्वामी तुलसीदास जयंती 966 दिनों में लिखा था रामचरित मानस, हनुमान चालीसा भी इन्होंने लिखी थी,:स्वामी राम भजन वन

सावन महीने के शुक्ल पक्ष की सातवीं तिथि पर गोस्वामी तुलसीदास जयंती मनाते हैं। जो कि इस बार गुरुवार, 4 अगस्त को है। गोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म संवत् 1554 में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के राजापुर गांव में हुआ था। इसी गांव में ही श्रीरामचरित मानस मंदिर है, जहां तुलसीदासजी ने ये ग्रंथ 966 दिनों में लिखा। संवत्‌ 1680 में उनका निधन हो गया था।

कहा जाता है कि जन्म के बाद तुलसीदास रोए नहीं बल्कि उनके मुंह से राम शब्द निकला। इसलिए बचपन में इनका नाम रामबोला था। ये भी कहा जाता है कि जन्म से ही तुलसीदास जी के बत्तीस दांत थे।

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन
जन्म के बाद इनकी मां हुलसी का निधन हो गया था। पिता का नाम आत्माराम था। बालक रामबोला प्रारंभ से ही विद्वानों की शरण में रहने लगे थे। बाद में बाबा नरहरि ने इन्हें तुलसीदास नाम दिया। नरहरि बाबा को तुलसीदास का गुरु माना जाता है। तुलसीदास की शादी रत्नावली से हुई थी। विवाह के कुछ समय बाद ही वे पत्नी से दूर हो गए और श्रीराम की भक्ति में लीन हो गए।

तुलसीदास ने अपने 126 के जीवन में कई ग्रंथों की रचना की थी। इनमें श्रीरामचरित मानस सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इस ग्रंथ के सुंदरकांड का पाठ कई लोग रोज करते हैं। विनय पत्रिका और हनुमान चालीसा की रचना भी तुलसीदास ने की थी।

शिवजी के कहने पर लिखा श्रीरामचरित मानस
माना जाता है कि तुलसीदासजी को सपने में आकर शिवजी ने आदेश दिया कि तुम अपनी भाषा में काव्य रचना करो। मेरे आशीर्वाद से तुम्हारी रचना सामवेद की तरह फलवती होगी। ये सपना देख वो जाग गए। इसके बाद संवत् 1631 को रामनवमी के दिन वैसा ही योग बना जैसा त्रेतायुग में रामजन्म के वक्त था। उस दिन सुबह तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस लिखना शुरू की थी।

966 दिन में लिखा रामचरितमानस
गोस्वामीजी ने संवत् 1631 में रामचरित मानस लिखनी शुरू की थी। संवत् 1633 के अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर ये ग्रंथ पूरा हो गया। यानी इसे पूरा करने में 2 साल 7 माह और 26 दिन का समय लगा था। कहा जाता है कि रचना पूरी होते ही तुलसीदास जी ने सबसे पहले ये ग्रंथ शिवजी को अर्पित किया। फिर इसे लेकर तुलसीदासजी काशी गए और ये पुस्तक भगवान विश्वनाथ के मंदिर में रख दी। माना जाता है कि सुबह उस पर सत्यं शिवं सुंदरम लिखा हुआ था।

मान्यता: श्रीराम और हनुमानजी ने दिए थे तुलसीदासजी को दर्शन
ऐसा माना जाता है कि तुलसीदासजी को भगवान श्रीराम और हनुमानजी ने दर्शन दिए थे। जब तुलसीदास जी तीर्थ यात्रा पर काशी गए तो राम नाम जप करते रहे। इसके बाद हनुमानजी ने उन्हें दर्शन दिए। इसके बाद उन्होंने हनुमानजी से भगवान राम के दर्शन की प्रार्थना की। हनुमान जी ने बताया कि चित्रकूट में श्रीराम मिलेंगे। इसके बाद मौनी अमावस्या पर्व पर तुलसीदास जी को चित्रकूट में भगवान राम के दर्शन हुए।

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